हिन्दी: लोकोक्ति

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  • आम के आम गुठलियों के दाम⟶ दुहरा लाभ होना |
  • आँख का अँधा, नाम नैनसुख⟶ गुण न होने पर भी गुण का दिखावा करना।
  • ओखली मे सिर दिया तो मूसल से क्या डर⟶ कठिन कार्यो में उलझ कर विपत्तियों से क्या घबराना |
  • एक अनार सौ बीमार⟶ समान कम चाहने वाले बहुत ।
  • एक और एक ग्यारह⟶ एकता मे शक्ति होती है |
  • एक पंथ दो काज⟶ एक प्रयत्न से दोहरा लाभ।
  • अपनी अपनी डफली,अपना अपना राग⟶ विचारो का बेमेल होना|
  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत⟶ समय गुज़रने पर पछतावा करने से कोई लाभ नहीं होता।
  • अशर्फ़ियाँ लुटाकर कोयलों पर मोहर लगाना⟶ मूल्यवान वस्तु भले ही जाए, पर तुच्छ चीज़ों को बचाना।
  • आसमान से गिरा खजूर में अटका⟶ एक विपत्ति से निकलकर दूसरी में उलझना |
  • आप भला सो जग भला⟶ स्वयं सही हो तो सारा संसार ठीक लगता है |

  • आगे कुआँ पीछे खाई⟶ हर तरफ परेशानी होना; विपत्ति से बचाव का कोई मार्ग न होना |
  • आगे नाथ न पीछे पगहा⟶ कोई भी जिम्मेदारी न होना; पूर्णत: बंधनरहित होना |
  • आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास⟶ इच्छितकार्य न कर पाने पर कोई अन्य कार्य कर लेना|
  • आटे के साथ घुन भी पिसता है⟶ अपराधी के साथ निरपराधी भी दण्ड पा जाताहै |
  • अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा⟶ जहाँ मुखिया ही मूर्ख हो, वहाँ अन्याय ही होता है।
  • अंधों में काना राजा⟶ मूर्खों में थोड़ा सा ज्ञानी।
  • अक्ल बड़ी या भैंस⟶ शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि का महत्व अधिक होता है |
  • अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना⟶ सदा मूर्खतापूर्ण बातें या काम करते रहना।
  • अधजल गगरी छलकत जाए⟶ थोड़ा होने पर अधिक दिखावा करना।
  • अपना हाथ जगन्नाथ⟶ स्वतंत्र व्यक्ति जिसके काम में कोई दखल न दें ।
  • अपने पांव पर आप कुल्‍हाड़ी मारना⟶ अपना अहित स्वयं करना।
  • अंधी पीसे कुत्ता खाये⟶ परिश्रमी व्यक्ति के असावधानी पर अन्य व्यक्ति का उपभोग करना|
  • ऊँट के मुँह मे ज़ीरा⟶ बड़ी आवश्यकता के लिये कम देना।
  • कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली⟶ दो असमान व्यक्तियों का मेल न होना |
  • कंगाली में आटा गीला⟶ कमी में और नुकसान होना |

  • कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा- इधर ⟶उधर से उल्टे सीधे प्रमाण एकत्र कर अपनी बात सिद्ध करने का प्रयत्न करना |
  • एक तो चोरी ऊपर से सीनाज़ोरी⟶ गलती करने पर भी उसे स्वीकार न करके विवाद करना|
  • एक हाथ से ताली नही बजती⟶ झगड़ा एक ओर से नही होता |
  • एक तो करेला, दूजे नीम चढ़ा⟶ अवगुणी में और अवगुणों का आ जाना |
  • एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती⟶ एक स्थान पर दो विचारधारायें नहीं रह सकतीं हैं|
  • उल्टा चोर कोतवाल को डांटे⟶ अपना अपराध स्वीकार करने की बजाय पूछने वाले को दोष देना।
  • घर की मुर्गी दाल बराबर⟶ घर की वस्तु का महत्व नहीं होता |
  • घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने⟶ झूठी शान दिखाना |
  • चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए⟶ अत्यधिक कंजूस होना‌।
  • चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात⟶ सुख क्षणिक होता है |
  • चोर की दाढ़ी में तिनका⟶ अपराध बोध से व्यक्ति सहमा-सहमा रहता है; दोषी व्यक्ति का व्यवहार उसकी असलियत उजागर कर देता है।
  • कौवा चला हंस की चाल⟶ अयोग्य व्यक्ति का योग्य व्यक्ति जैसा बनने का प्रयत्न |
  • खोदा पहाड़ निकली चुहिया⟶ बहुत प्रयत्न करने पर कम फल प्राप्त होना |

  • खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे⟶ दूसरे के क्रोध को अनुचित स्थान पर निकालना|
  • घर का भेदी लंका ढावे⟶ आपस की फूट विनाश कर देती है।
  • छोटा मुँह बड़ी बात⟶ अपनी योग्यता से बढ़कर बात करना।
  • छक्के छूटना⟶ बुद्धि चकरा जाना।
  • जाके पाँव व फटी बिबाई, सो क्या जाने पीर पराई⟶ जिसने कभी दु:ख न देखा हो वह दूसरेरे के दु:ख को नहीं समझ सकता |
  • चिराग़ तले अन्धेरा होना⟶ देने वाले का स्वयं वंचित रहना; सबका काम कराने वाले का स्वयं का काम लटका रहना; सुविधा प्रदान करने वाले को स्वयं सुविधा न मिलना।
  • छ्छूंदर के सिर पर चमेली का तेल⟶ अयोग्य व्यक्ति को अच्छी चीज़ देना।
  • छाती पर सांप लोटना⟶ ईर्ष्या होना ।
  • दान की बछिया के दाँत नहीं देखे जाते⟶ मुफ्त की वस्तु का अच्छा बुरा नहीं देखा जाता |
  • दुविधा में दोनों गये माया मिली न राम⟶ दुविधाग्रस्त व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त नही होता ।
  • दूध का दूध ,पानी का पानी⟶ उचित न्याय ,विवेकपूर्ण न्याय ।
  • धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का⟶ अस्थिर व्यक्ति प्रभावहीन होता है |
  • नहले पर दहला⟶ एक से बढ़कर एक।
  • न रहेगा बांस न बजेगी बाँसुरी⟶ झगड़े को समूल नष्ट करना |
  • जिसकी लाठी उस की भैंस⟶ शक्तिशाली विजयी होता है |

  • जिसकी उतर गई लोई उसका क्या करेगा कोई⟶ निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती|
  • झूठ के पांव नहीं होते⟶ झूठ ज़्यादा दिन तक नहीं ठहरता है।
  • ढाक के वही तीन पात⟶ परिणाम कुछ नहीं, बात वहीं की वहीं.
  • डूबते हुए को तिनके का सहारा⟶ घोर संकट मे जरा सी सहायता ही काफी होती है |
  • थोथा चना बाजे घना⟶ ओछा आदमी ज्यादा डींग हाँकता है |
  • बगल में छोरा, शहर में ढिंढोरा⟶ वाँछित वस्तु की प्राप्ति के लिये अपने आस -पास नजर न डालना|
  • बड़े मियाँ सो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभानअल्लाह⟶ छोटे का बड़े से भी अधिक चालाक होना|
  • बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद⟶ किसी के गुणों को न जान कर उसके महत्व को न समझ सकना |
  • बिन माँगे मोती मिले,माँगे मिले न भीख⟶ माँगने पर कुछ नहीं मिलता है |
  • भागते चोर/भूत के लँगोटी ही सही⟶ कुछ न मिलने पर जो भी मिला वही अच्छा |
  • भैंस के आगे बीन बजाना⟶ मूर्ख के सामने ज्ञान की बातें करना व्यर्थ है|
  • मान न मान मैं तेरा मेहमान⟶ व्यर्थ मे गले पड़ना |
  • न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी⟶ कार्य न करने हेतु असम्भव शर्ते रखना |
  • नाच न जाने आँगन टेढ़ा⟶ खुद न जानने पर बहाने बनाना |
  • नौ सौ चूहे खाय बिल्ली हज को चली ढोंगी व्यक्ति⟶ जीवन भर पाप करने के बाद बुढ़ापे मे धर्मात्मा होने का ढोंग करना |



  • पगड़ी उछालना⟶ अपमानित करना|
  • पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखे कुदरत का खेल⟶ भाग्यवश योग्य व्यक्ति द्वारा तुच्छ कार्य करने के लिये विवश होना |
  • हाथ पसारना/फैलाना⟶ किसी से विवशतापूर्ण माँगना।
  • हाथ –पाँव फूल जाना⟶ डर से घबराना।
  • होनहार बिरवान के होत चीकने पात⟶ प्रतिभा बचपन से दिखाई देती है|
  • अपनी करनी पार उतरनी ⟶ जैसा करना वैसा भरना
  • आधा तीतर आधा बटेर ⟶ बेतुका मेल
  • अधजल गगरी छलकत जाए ⟶ थोड़ी विद्या या थोड़े धन को पाकर वाचाल हो जाना
  • अंधों में काना राजा ⟶ अज्ञानियों में अल्पज्ञ की मान्यता होना
  • मुख मे राम बगल में छुरी⟶ऊपर से भला बनकर धोखा देना |
  • ये मुंह और मसूर की दाल⟶ अपनी औक़ात से बाहर की बात होना|
  • सौ सुनार की एक लुहार की⟶ सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा बुद्धिमान व्यक्तिकम प्रयत्न मे लाभ पा लेता है ।
  • हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या⟶ प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती|
  • अपने मुहं मियाँ मिट्ठू बनना ⟶ स्वयं की प्रशंसा करना
  • आँख का अँधा गाँठ का पूरा ⟶ धनी मूर्ख

  • अंधेर नगरी चौपट राजा ⟶ मूर्ख के राजा के राज्य में अन्याय होना
  • आ बैल मुझे मार ⟶ जान बूझकर लड़ाई मोल लेना
  • आगे नाथ न पीछे पगहा ⟶ पूर्ण रूप से आज़ाद होना
  • अपना हाथ जगन्नाथ ⟶ अपना किया हुआ काम लाभदायक होता है
  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ⟶ पहले सावधानी न बरतना और बाद में पछताना
  • आगे कुआँ पीछे खाई ⟶ सभी और से विपत्ति आना
  • अपनी अपनी ढफली अपना अपना राग ⟶ अलग अलग विचार होना
  • अक्ल बड़ी या भैंस ⟶ शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति की श्रेष्ठता होना
  • आम के आम गुठलियों के दाम ⟶ दोहरा लाभ होना
  • ऊधौ का लेना न माधो का देना ⟶ किसी से कोई सम्बन्ध न रखना
  • ऊँट की चोरी निहुरे – निहुरे ⟶ बड़ा काम लुक – छिप कर नहीं होता
  • एक पंथ दो काज ⟶ एक काम से दूसरा काम
  • एक थैली के चट्टे बट्टे ⟶ समान प्रकृति वाले
  • ऊंची दूकान फीका पकवान ⟶ मात्र दिखावा
  • उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ⟶ अपना दोष दूसरे के सर लगाना
  • उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना ⟶ धीरे धीरे साहस बढ़ जाना
  • उलटे बांस बरेली को ⟶ विपरीत कार्य करना

  • उतर गयी लोई क्या करेगा कोई ⟶ इज्ज़त जाने पर डर कैसा
  • एक बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय ⟶ अकर्मण्य को कोई भी नहीं रखना चाहता
  • ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरना ⟶ जान बूझकर प्राणों की संकट में डालने वाले प्राणों की चिंता नहीं करते
  • अंगूर खट्टे हैं ⟶ वस्तु न मिलने पर उसमें दोष निकालना
  • कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली ⟶ बेमेल एकीकरण
  • काला अक्षर भैंस बराबर ⟶ अनपढ़ व्यक्ति
  • एक म्यान में दो तलवार ⟶ एक स्थान पर दो समान गुणों या शक्ति वाले व्यक्ति साथ नहीं रह सकते
  • एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है ⟶ एक खराब व्यक्ति सारे समाज को बदनाम कर देता है
  • एक हाथ से ताली नहीं बजती ⟶ झगड़ा दोनों और से होता है
  • एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ⟶ दुष्ट व्यक्ति में और भी दुष्टता का समावेश होना
  • एक अनार सौ बीमार ⟶ कम वस्तु , चाहने वाले अधिक
  • कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर ⟶ समय पड़ने पर एक दुसरे की मदद करना
  • खोदा पहाड़ निकली चुहिया ⟶ कठिन परिश्रम का तुच्छ परिणाम
  • खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे ⟶ अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का काम करना
  • खग जाने खग की ही भाषा ⟶ समान प्रवृति वाले लोग एक दुसरे को समझ पाते हैं

  • गंजेड़ी यार किसके, दम लगाई खिसके ⟶ स्वार्थ साधने के बाद साथ छोड़ देते हैं
  • गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज ⟶ ढोंग रचना
  • घर की मुर्गी दाल बराबर⟶ अपनी वस्तु का कोई महत्व नहीं
  • कोयले की दलाली में मुहं काला ⟶ बुरे काम से बुराई मिलना
  • काम का न काज का दुश्मन अनाज का ⟶ बिना काम किये बैठे बैठे खाना
  • काठ की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती⟶ कपटी व्यवहार हमेशा नहीं किया जा सकता
  • का बरखा जब कृषि सुखाने ⟶ काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है
  • चोर की दाढ़ी में तिनका ⟶ अपराधी व्यक्ति सदा सशंकित रहता है
  • चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए⟶ कंजूस होना
  • चोर चोर मौसेरे भाई ⟶ एक से स्वभाव वाले व्यक्ति
  • जल में रहकर मगर से बैर ⟶ स्वामी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए
  • जाके पाँव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई ⟶ भुक्तभोगी ही दूसरों का दुःख जान पाता है
  • थोथा चना बाजे घना ⟶ ओछा आदमी अपने महत्व का अधिक प्रदर्शन करता है
  • छाती पर मूंग दलना ⟶ कोई ऐसा काम होना जिससे आपको और दूसरों को कष्ट पहुंचे
  • घर का भेदी लंका ढावे ⟶ घर का शत्रु अधिक खतरनाक होता है
  • घर खीर तो बाहर भी खीर ⟶ अपना घर संपन्न हो तो बाहर भी सम्मान मिलता है
  • चिराग तले अँधेरा ⟶ अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता
  • दूध का दूध पानी का पानी ⟶ ठीक ठीक न्याय करना

  • बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद ⟶ गुणहीन गुण को नहीं पहचानता
  • पर उपदेश कुशल बहुतेरे ⟶ दूसरों को उपदेश देना सरल है
  • नाम बड़े और दर्शन छोटे ⟶ प्रसिद्धि के अनुरूप गुण न होना
  • भागते भूत की लंगोटी सही ⟶ जो मिल जाए वही काफी है
  • मान न मान मैं तेरा मेहमान ⟶ जबरदस्ती गले पड़ना
  • दाल भात में मूसलचंद ⟶ व्यर्थ में दखल देना
  • धोबी का कुत्ता घर का न घाट का ⟶ कहीं का न रहना
  • नेकी और पूछ पूछ ⟶ बिना कहे ही भलाई करना
  • नीम हकीम खतरा ए जान ⟶ थोडा ज्ञान खतरनाक होता है
  • आँख का अँधा, नाम नैनसुख ⟶ नाम के विपरीत गुण होना
  • ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया ⟶ संसार में कहीं सुख है तो कहीं दुःख है
  • उतावला सो बावला ⟶ मूर्ख व्यक्ति जल्दबाजी में काम करते हैं
  • ऊसर बरसे तृन नहिं जाए ⟶ मूर्ख पर उपदेश का प्रभाव नहीं पड़ता
  • ओछे की प्रीति बालू की भीति ⟶ ओछे व्यक्ति से मित्रता टिकती नहीं है
  • कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा ⟶ सिद्धांतहीन गठबंधन
  • सर मुंडाते ही ओले पड़ना ⟶ कार्य प्रारंभ होते ही विघ्न आना
  • हाथ कंगन को आरसी क्या ⟶ प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत है
  • होनहार बिरवान के होत चिकने पात ⟶ होनहार व्यक्ति का बचपन में ही पता चल जाता है
  • बद अच्छा बदनाम बुरा ⟶ बदनामी बुरी चीज़ है

  • मन चंगा तो कठौती में गंगा ⟶ शुद्ध मन से भगवान प्राप्त होते हैं
  • गागर में सागर भरना ⟶ कम शब्दों में अधिक बात करना
  • घर में नहीं दाने , अम्मा चली भुनाने ⟶ सामर्थ्य से बाहर कार्य करना
  • चौबे गए छब्बे बनने दुबे बनकर आ गए ⟶ लाभ के बदले हानि
  • चन्दन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग ⟶ सज्जन पर कुसंग का प्रभाव नहीं पड़ता
  • जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ ⟶ दुष्टों की प्रवृति एक जैसी होना
  • डेढ़ पाव आटा पुल पै रसोई ⟶ थोड़ी सम्पत्ति पर भारी दिखावा
  • तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता ⟶ झूठी रईसी दिखाना
  • कानी के ब्याह में सौ जोखिम ⟶ कमी होने पर अनेक बाधाएं आती हैं
  • को उन्तप होब ध्यहिंका हानी ⟶ परिवर्तन का प्रभाव न पड़ना
  • खाल उठाए सिंह की स्यार सिंह नहिं होय ⟶ बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते
  • सूरदास खलकारी का या चिदै न दूजो रंग⟶ दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता
  • तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार ⟶ दृढ प्रतिज्ञ लोग अपनी बात पे डटे रहते हैं
  • सौ सुनार की, एक लुहार की ⟶ निर्बल की सौ चोटों की तुलना में बलवान की एक चोट काफी है
  • भई गति सांप छछूंदर केरी ⟶ असमंजस की स्थिति में पड़ना
  • पुचकारा कुत्त सिर चढ़े ⟶ ओछे लोग मुहं लगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं
  • मुहं में राम बगल में छुरी ⟶ कपटपूर्ण व्यवहार
  • पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं ⟶ पराधीनता में सुख नहीं है

  • प्रभुता पाहि काहि मद नहीं ⟶ अधिकार पाकर व्यक्ति घमंडी हो जाता है
  • मेंढकी को जुकाम ⟶ अपनी औकात से ज्यादा नखरे
  • शौक़ीन बुढिया चटाई का लहंगा ⟶ विचित्र शौक
  • जंगल में मोर नाचा किसने देखा ⟶ गुण की कदर गुणवानों के बीच ही होती है
  • चट मंगनी पट ब्याह ⟶ शुभ कार्य तुरंत संपन्न कर देना चाहिए
  • ऊंट बिलाई लै गई तौ हाँजी-हाँजी कहना ⟶ शक्तिशाली की अनुचित बात का समर्थन करना
  • तीन लोक से मथुरा न्यारी ⟶ सबसे अलग रहना

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