बाड़मेर जिला दर्शन(Barmer District GK in Hindi)

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Barmer District GK in Hindi:- इस पोस्ट में बाड़मेर का सामान्य परिचय, बाड़मेर के उपनाम, 2011 की जनगणना के अनुसार बाड़मेर की जनसँख्या/घनत्व/लिंगानुपात, बाड़मेर का क्षेत्रफल, बाड़मेर के पर्यटन स्थल, बाड़मेर के प्रमुख मेले, बाड़मेर के प्रमुख मंदिर, बाड़मेर की मानचित्र में स्थिति, बाड़मेर के विधानसभा क्षेत्र, बाड़मेर की नदियां एवं बांध आदि को शामिल किया गया है।

बाड़मेर का सामान्य परिचय:-

  • बाड़मेर जिले के उपनाम:- बाड़मेर को मालानी, बाहड़मेढ़, श्रीमाल, किरात कूप, शिवकूप तथा कला व हस्तशिल्प का सिरमौर कहा जाता है।
  • जिले का इतिहास:- “बाढ़ाणा/मालाणी” उपनाम से बाड़मेर जिले को 1246 ईस्वी में बरहड़देव ने बसाया था। बाड़मेर का नाम भी इन्हीं के बनाये हुए किले के नाम पर पड़ा, बाड़मेर यानि बाड़ का पहाड़ी किला।
  • बाड़मेर का नगरीय क्षेत्रफल:– 45.01 वर्ग किलोमीटर
  • बाड़मेर का ग्रामीण क्षेत्रफल:– 28,341.99 वर्ग किलोमीटर
  • बाड़मेर का नगरीय क्षेत्रफल:– 45.01 वर्ग किलोमीटर
  • बाड़मेर में उपखंडों की संख्या:– 04
  • बाड़मेर में तहसीलों की संख्या:– 8
  • बाड़मेर में ग्राम पंचायतों की संख्या – 384
  • बाड़मेर में उप तहसीलों की संख्या – 5
  • बाड़मेर में कुल वन क्षेत्रफल : 592.28 वर्ग किलोमीटर।

बाड़मेर जिले की मानचित्र के अनुसार स्थिति:-

  • अक्षांशीय स्थिति:- 24° 4 मिनट उत्तरी अक्षांश 26° 32 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
  • देशांतरीय स्थिति:- 70 ° 5 मिनट पूर्वी देशांतर से 72 ° 52 मिनट पूर्वी देशांतर तक।
  • बाड़मेर राजस्थान के पश्चिम में स्थित है, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय (पाकिस्तान) व अन्तर्राज्यीय (गुजरात से) दोनों प्रकार की सीमाएँ लगती है।
  • बाड़मेर राजस्थान का वह जिला जो किसी भी अन्य राज्य के साथ सबसे कम अन्तर्राज्यीय सीमा बनाता है।
  • रेडक्लिफ रेखा राज्य के दक्षिण पश्चिम में बाड़मेर के बाखासर गांव (शाहगढ़) तक विस्तृत है।
  • रेडक्लिफ रेखा की बाड़मेर से 228 कि.मी. सीमा लगती है।
  • नाकोड़ा पर्वत/छप्पन की पहाड़ि‍यां:– बाड़मेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समूह नकोड़ा पर्वत या छप्पन की पहाड़ीयां कहलाता है। ये समुद्रतल से 3727 फीट ऊँची है।

बाड़मेर जिले के विधानसभा क्षेत्र:-

  1. शिव
  2. बाड़मेर
  3. पचपदरा
  4. बायतु
  5. गुडामालानी
  6. चौहटन
  7. सिवाना

बाड़मेर के नदियां/जल स्रोत:–

  • लूनी नदी – लूनी नदीकी सहायक-सूकड़ी एवं मीठड़ी नदियां हैं। लूनी नदी अजमेर के नाग पहाड़ से निकलकर नागौर की ओर बहती है। लूनी नदी राजस्थान के छ: जिलों में बहती है। अंत में कच्छ की खाड़ी में गिर जाती है। लूनी नदी की कुल लंबाई 320 किलोमीटर है। लूनी नदी अजमेर से निकलकर नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर और जालौर में बहती हुई, गुजरात में प्रवेश करती है। लूनी नदी पूर्णत: मौसमी नदी है। बालोतरा (बाड़मेर) तक इसका जल मीठा रहता है तथा इसके आगे जाकर यह खारा होता जाता है। नाकोड़ा बाँध-लूनी नदी पर हैं। लूनी ‘लवण नदी’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।
  • पंचपद्रा झील/पंचभद्रा झील – इस झील में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी के द्वारा नमक के स्फटिक बनाते हैं। इस झील का नमक राजस्थान में सर्वश्रेष्ठ नमक है, इस झील के नमक में 98% NaCl है। इस झील का नमक समुद्र के नमक से मिलता-जुलता है।

बाड़मेर जिले में जल परियोजनाएं:-

  • इंदिरा गाँधी नहर परियोजना—इसका अंतिम बिन्दु गडरा रोड़ बाड़मेर जिले में है। इस नहर परियोजना को ‘राजस्थान की मरूगंगा व राज्य की जीवन रेखा’ के उपनाम से भी जानते है। इस परियोजना के जनक/योजनाकार “कंवर सेन” कहलाते है। उन्होंने 1948 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “बीकानेर राज्य के लिए पानी की आवश्यकता” में इसका प्रारूप रखा था।
  • नर्मदा नहर परियोजना—जालौर व बाड़मेर में सिंचाई हेतु प्रयुक्त। नर्मदा नहर राजस्थान के अंदर जालोर के सीलु गांव से प्रवेश करती है।
  • लिफ्ट नहर—बाबा रामदेव लिफ्ट नहर।

बाड़मेर में ऊर्जा संसाधन/खनिज:-

  • पेट्रोल:—बाड़मेर के बायल क्षेत्र के जोगासंरिया गाँव, बोधिया गाँव, चूनावाला और मग्गा की ढ़ाणी ।
  • प्रमुख तेल के कुएँ:- रागेश्वरी, भाग्यम, मंगला, ऐश्वर्या, सरस्वती आदि।
  • जालीपा-कपूरड़ी:- निजी क्षेत्र पर आधारित राज्य का प्रथम बिजलीघर। यह लिग्नाइट कोयले से चलता है।
  • राजस्थान राज्य का प्रथम लिग्नाइट कोयला आधारित विद्युत संयंत्र गिरल, बाड़मेर में है।
  • कोसलू होडू:- इस स्थान पर गहराई में दबे लिग्नाइट कोयले को ‘यूजीसी’ पद्धति से निकाला जाएगा। सम्पूर्ण भारत में UGC पद्धति के माध्यम से लिग्नाइट दोहन का यह प्रथम प्रयोग है।
  • बाड़मेर में रिफाइनरी—बाड़मेर के पंचपदरा के साजियावली गाँव में सितम्बर 2013 में सोनिया गाँधी ने रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स का शिलान्यास किया था।
  • पेट्रोल की हीटेड पाइपलाइन नगाणा गाँव में मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल से सलाया (गुजरात) तक बिछाई जाने वाली पाइपलाइन का उद्घाटन 4 फरवरी 2010 को हुआ था।

बाड़मेर के प्रमुख मेले एवं त्यौहार:-

  • मल्लीनाथ पशु मेला:- यह मेला व्यावससायिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। लूनी नदी के तट पर स्थित तिलवाड़ा गाँव में यह मेला लगता है। यह जिले का प्रमुख पशु मेला है।
  • सुईया मेला चौहटन:- भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। ऐसे में प्रथम महाकुंभ मेला और भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला यानी की अर्द्ध महाकुंभ कहा जाने वाला सुईया मेला जो बाड़मेर जिले के चौहटन कस्बे में 12 साल के अंतराल में एक बार लगता है। पाकिस्तान की सरहद से सटे बाड़मेर जिले के चौहटन में लगने वाले इस मेले को अर्द्ध महाकुंभ के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि पांडवों की इस तपोभूमि के दर्शन करने एवं पवित्र स्नान से लाखों पाप धुल जाते हैं ऐसी मान्यता है। इस दो दिवसीय मेले में लाखों की तादाद में श्रद्धालु भारत के दूर-दूर प्रदेशों से यहां दर्शन करने आते हैं। 12 वर्ष के अंतराल में इस मेले का आयोजन उसी दिन होता है। जिस दिन अमावस्या के साथ सोमवार भी हो और कई नक्षत्रों का संयोग जब मेले के लायक बनता है, तभी इस अर्द्ध महाकुंभ का आयोजन होता है। अनुमान के तौर पर करीब 10 लाख श्रद्धालु इस मेले में शिरकत करते हैंऔर महास्नान का लाभ लेते हैं।
  • नाकोड़ा पार्श्वनाथ मेला:- यहाँ पर नाकोड़ा पार्श्वनाथ का जैन मंदिर है, जिसके चारों ओर का वातावरण काफी सुंदर है। पंचपदरा तहसील के बालोतरा शहर से10 किलो मीटर की दूरी पर मेवानगर गाँव में एक मेला लगता है। यहाँ प्रत्येक वर्ष दिसम्बर-जनवरी को पार्श्वनाथ का जन्म उत्सव मनाने के लिए मेला लगता है। यहाँ पर तीन जैन मंदिर है, जो पार्श्वनाथ, शांतिनाथ तथा आदिनाथ को समर्पित हैं।
  • हुडो की ढाणी मेला:- यहाँ पर भगवान ठाकुरजी का प्रसिद मन्दिर है। यहा पर हर-वर्ष ज्येष्ठ सुदी दशम को भव्य जागरण होती है एवं ग्यारस को मेला भरा जाता है। यहाँ बाबा रामदेव जी का प्रसिद़ मन्दिर है। भादवा शुदी ग्यारस को बाबा की जागरण रखी जाती है। एवं श्रावण सुदी 15 से 15 भादवा सुदी तक बाबा रामदेव जी के पैदलयात्रियो के लिए भोजन एवं रुकने के लिए उत्तम व्यवस्था है।
  • खेड़ मेला:- यह गाँव बालोतरा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खेड़ प्राचीन काल में सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। पचपद्रा तहसील के अन्तर्गत खेड़ गाँव में हरेक पूर्णिमा पर मंदिर के निकट एक धार्मिक मेला लगता है।
  • हरलाल जाट का मेला:- यह मेला भले ही शिक्षित वर्ग तक सीमित हो लेकिन बलदेव नगर का सबसे पवित्र स्थान है।
  • कल्याण सिंह का मेला:- यह मेला सिवाना दुर्ग में अलाउद्दीन की सेना के विजय अवसर पर लगता है। यह श्रावण सुदी २ (जुलाई-अगस्त) में प्रत्येक वर्ष लगता है।
  • विरात्रा माता का मेला:- यहाँ साल में तीन बार चैत्र, भाद्रपद तथा माघ में वांकल देवी की पूजा का मेला लगता है। विरात्रा माता की मूर्ति की स्थापना वीर विक्रमादित्य ने की थी। चोहटन तहसील से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विरात्रा में मेला आयोजित किया जाता है। वांकल देवी के पुजारी गहेलड़ा परमार जिनको आदर भाव से भोपा भी कहा जाता है , यहां पर देवी की पूजा करते है।
  • सिणधरी पशु मेला:- लूनी नदी के तट पर स्थित सिणधरी गाँव में यह मेला लगता है। यह जिले का प्रमुख पशु मेला है। यह प्रत्येक वर्ष नवंबर-दिसम्बर मेला लगता है जो एक माह तक चलता हैं। हजारों की संख्या में लोग यहाँ इकट्ठे होते हैं।
  • बायतु मेला:- यह प्रसिद्ध लोक देवता खेमा बाबा का जन्म स्थल है। भादों सुदी नवमी, माघ सुदी नवमी और चैत्र सुदी नवमी को मेला लगता है। यहाँ पर गुजरात और राजस्थान के दूर दूर से यात्री आते है।
  • सिणधरी मेला:- इस मेले को बजरंग मेले के नाम से जाना जाता है। यहां मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी को मेला लगता हैं जो एक महिने तक चलता हैं।
  • रणछोड़राय का मेला:- खेड़ नामक स्थान पर—प्रतिवर्ष राधाष्टमी, माघ पूर्णिमा, बैशाख एवं श्रावण मास की पूर्णिमा व कार्तिक पूर्णिमा भादवा सुदी 14 को भरता है।
  • जोगमाया का मेला:- चालकना नामक स्थान पर भादवा सुदी 14 को भरता है।
  • आलमजी का मेला:- धोरीमन्ना में भादवा सुदी 2 को भरता है।
  • हल्देश्वर महादेव शिवरात्रि मेला:- पीपलूद नामक स्थान छप्पन की पहाड़ियों के बीच है, जो मारवाड़ का लघु माउन्ट आबू कहलाता है। यह शिवरात्रि पर पीपलूद नामक स्थान पर लगता है। कपालेश्वर महादेव के मंदिर से मेला प्रत्येक बाहरवें वर्ष में भरता है। जिसे कुंभ मेले का लघु मरुस्थलीय रूप समझा जाता है।
  • रानी भटियाणी का मेला:- जसोल नामक स्थान पर कार्तिक मास में भरता है।
  • थाटी री खेजड़ी:- शिव तहसील के अंतर्गत ऊंडू काश्मीर गांव में लोक देवता बाबा रामदेव जी का मेला, भाद्रपद शुक्ल दूज को लगता है। यह स्थान रामदेव जी की जन्मस्थली कहलाती है, यहां भव्य मंदिर बनाया गया है। जिसके दर्शनार्थ दूर दराज पैदल यात्री आते हैं।

 बाड़मेर के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्‍थल/पर्यटन स्थल:-

  • सिवाना दुर्ग:- इसे कुमट दुर्ग भी कहा जाता है। “मारवाड़ के शासकों की शरणस्थली” सिवाना दुर्ग बाड़मेर के सिवाना क्षेत्र में छप्पन की पहाड़ियां की हल्देश्वर पहाड़ी पर वीर नारायण पवार द्वारा निर्मित है। अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1308 ईस्वी में सिवाना दुर्ग को जीत लिए जाने के बाद इसका नाम बदलकर खैराबाद रख दिया गया।
  • बाटाडू का कुआँ:- ‘रेगिस्तान के जल महल’ के उपनाम से प्रसिद्ध बाटाडू का कुआ सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इसका निर्माण रावल गुलाबसिंह द्वारा करवाया गया था। यह कुआ बाड़मेर की बायतु पंचायत समिति क्षेत्र में स्थित है।
  • मल्लीनाथ मंदिर:– मल्लिनाथजी का समाधि स्थल मल्लीनाथजी का मंदिर तिलवाड़ा बाड़मेर में स्थित है।
  • किराडू के मंदिर (राजस्थान का खजुराहो):- यह प्राचीन काल में परमार शासकों की राजधानी रही थी। किराडू की स्थापत्य कला नागर शैली की है। किराडू का प्राचीन नाम किरात कूप था। बाड़मेर के हाथमा गांव के निकट एक पहाड़ी के नीचे किराडू में भगवान विष्णु व शिव मंदिर स्थित है। यहां पर प्रसिद्ध सोमेश्वर मंदिर भी स्थित है सोमेश्वर मंदिर किराडू का सबसे प्रमुख एवं बड़ा मंदिर है। यहां पर किराडू के मंदिर के अलावा सोमेश्वर मंदिर, शिव मंदिर, विष्णु मंदिर, रणछोड़ मंदिर, सचिया माता मंदिर स्थित है। किराडू को पुरातत्व, इतिहास, अध्यात्म की त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है। किराडू मिथुन मूर्तियों की भव्यता का कारण राजस्थान का खजुराहो कहलाता है।
  • श्री रणछोड़रायजी का खेड़ा मंदिर:- यह लूणी नदी के किनारे स्थित है। यह हिंदुओं का प्रमुख पवित्र धाम है। खेड़ में भूरिया बाबा तथा खोड़िया बाबा रेबारियों/देवासियों के आराध्य देव है। यहां पर खोड़िया हनुमान मंदिर, पंचमुखी महादेव मंदिर आदि स्थित है।
  • ब्रह्मा का मंदिर (आसोतरा):- सिद्ध पुरुष खेताराम जी महाराज द्वारा निर्मित ब्रह्मा का मंदिर आसोतरा (बाड़मेर) में स्थित है।
  • आलमजी का मंदिर:- यह मंदिर एक ऊंचे धोरे पर बाड़मेर के धोरीमना क्षेत्र में स्थित है।
  • विरातरा माता का मंदिर:- विरातरा माता भोपा जनजाति की कुलदेवी है। बाड़मेर के चौहटन तहसील में पहाड़ियों पर विरातरा माता का एक भव्य मंदिर स्थित है। यहां पर प्रतिवर्ष माघ एवं भाद्रपद शुक्ला चतुर्दशी को एक विशाल मेला भरता है।
  • श्री नाकोडा:- मेवानगर के जैन तीर्थ के उपनाम से प्रसिद्ध श्री नाकोडा प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बालोतरा के पश्चिम में भाकरियाँ नामक पहाड़ी पर स्थित है। मुख्य मंदिर में 2वे जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। प्रतिवर्ष तीर्थकर पार्श्वनाथ के जन्म दिन पौष कृष्णा दशमी को एक विशाल मेला लगता है।
  • शिव मुण्डी महादेव मन्दिर:– बाड़मेर शहर के पास सुरम्य पहाडिय़ों की सबसे ऊँची चोटी पर यह मंदिर बना हुआ है। इस पहाड़ी से बाड़मेर शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
  • मां नागणेची का मंदिर:- यहां देवी की लकड़ी की प्रतिमा विराजित है। राठौड़ों की कुलदेवी मां नागणेची का मंदिर बाड़मेर के नागाणा गांव में स्थित है।
  • सोहननाड़ी ताल:– सुरम्य पहाडिय़ों के मध्य में स्थित प्राचीन ताल सोहननाड़ी का निर्माण बाड़मेर की स्थापना के साथ ही करवाया था, जो पूर्व में नगरीय जनजीव के लिए पानी का एकमात्र स्त्रोत था।
  • अन्य मंदिर:- जूना बाड़मेर, शिव मुंडी महादेव मंदिर, जसोल राणी भटियाणी का मंदिर आदि बाड़मेर के अन्य प्रसिद्ध मंदिर है

बाड़मेर के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न:-

  • अजरक प्रिंट व मलीर प्रिन्ट:- बाड़मेर की अजरक प्रिंट व मलीर प्रिन्ट प्रसिद्ध है। अजरक प्रिंट कला में कपड़े के दोनों तरफ प्रिंट आता है।
  • कोटड़ा का किला बाड़मेर में स्थित है।
  • सिवाणा दुर्ग के साके—1308 ई. में अलाउद्दीन खिलजी की सेना के सेनापति कमालुद्दीन गुर्ग ने सिवाणा दुर्ग को घेर लिया एवं सिवाणा दुर्ग के राजा शीतल देव के विश्वासघाती सेनापति भावला को अपनी ओर मिलाकर आक्रमण किया जिसके कारण शीतलदेव युद्ध में मारा गया एवं उसकी पत्नी मैणा दे ने जौहर किया। अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा दुर्ग का नाम बदलकर खैराबाद रख दिया। दूसरा साका 1582 में हुआ।
  • राष्ट्रीय मरु उद्यान:- बाड़मेर एवं जैसलमेर जिलों में विस्तृत राष्ट्रीय मरु उद्यान को 04 अगस्त, 1980 को वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया गया। इस अभ्यारण्य में लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (सोन चिड़िया/माल मोरड़ी/गोडावण ) पाए जाते है। इसमें ‘आंकल वुड फोजिल्स पार्क’ (जीवाश्म उद्यान/मरुस्थल पार्क ) स्थित है। यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा अभ्यारण्य है।
  • बाड़मेर का चौहटन क्षेत्र गोंद के लिए प्रसिद्ध है।
  • पत्थर मार होली बाड़मेर की प्रसिद्ध है।
  • देश की पहली ओरण पंचायत – ढोंक गांव (बाड़मेर) में है।
  • समदड़ी गांव में संत पीपा का मंदिर है, जहां पर क्षेत्र पूर्णिमा को मेला भरता है।
  • राज्य का पहला लिग्नाइट पर आधारित बिजली घर – गिरल (बाड़मेर)में है।
  • बाड़मेर की पाकिस्तान से लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लम्बाई 228 किलोमीटर है।
  • राजस्थान का बाड़मेर जिला पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा एवं गुजरात राज्य के साथ अंतर्राज्यीय सीमा बनाता है।
  • प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेवजी का जन्म बाड़मेर जिले की शिव तहसील के उडुकाशमेर गांव में हुआ था।
  • थार महोत्सव एवं बेलून महोत्सव (अप्रेल में ) बाड़मेर में आयोजित होते है।
  • सर्वाधिक पंचायत समितियां (17) बाड़मेर में है।
  • गडरा का शहीद स्मारक – 1965 में शहीद रेल कर्मचारियों का स्मारक गडरारोड (बाड़मेर ) में है।
  • सजियावली एवं बैरी—यहाँ सौर ऊर्जा से संचालित खारे पानी को मीठे पानी में बदलने वाले जल पिरामिड का निर्माण किया गया है।
  • बकरी के बालों से जट पट्टियों की बुनाई का मुख्य केन्द्र जसोल (बाड़मेर) में है।
  • देश व राज्य की सर्वाधिक खारी झील – पचपदरा झील (बाड़मेर) में है।
  • बालोतरा में टेक्सटाइल पार्क स्थित है।
  • अजरक प्रिंट एवं मलीर प्रिंट बाड़मेर की प्रसिद्ध है।
  • बाड़मेर में पेयजल की समस्या के निराकरण के लिए ‘सुजलम परियोजना’ चलाई जा रही है।
  • सर्वाधिक पशु सम्पदा (भेड़, बकरी, गधे, ऊँट, घोड़े ) वाला जिला बाड़मेर है।
  • खूबड़ माता का मंदिर एवं गरीबनाथ का मंदिर बाड़मेर में स्थित है।
  • बाड़मेर में जनवरी 2009 में मिले तेल के कुएँ का नामकरण मुम्बई हमले में शहीद पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम ओमले के नाम पर किया गया है।
  • पाकिस्तान के नजदीक का रेलवे प्लेटफॉर्म मुनाबाव है, जो बाड़मेर में हैं। यह स्टेशन पाकिस्तान के खोखरापार को जोड़ता है। मुनाबाव शुल्क मुक्त शराब के लिए जाना जाता है।
  • बाड़मेर के मुनाबाव से पाकिस्तान के खोखरापार के बीच चलाई गई ट्रेन थार एक्सप्रेस है। यह ट्रेन 18 फरवरी, 2006 को चलाई गई।

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