भरतपुर जिला दर्शन (Bharatpur District GK in Hindi)

Telegram GroupJoin Now

Bharatpur District GK in Hindi: आज की इस पोस्ट में भरतपुर जिले का सामान्य परिचय, भरतपुर के दर्शनीय स्थल, भरतपुर जिले की 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या, साक्षरता, लिंगानुपात, घनत्व के आंकड़े, भरतपुर के प्रमुख मेले एवं त्यौहार, भरतपुर के प्रसिद्ध मंदिर, भरतपुर जिले की अक्षांश एवं देशांतर स्थिति, क्षेत्रफल, मानचित्र में भरतपुर की स्थिति, भरतपुर के पर्यटन स्थल तथा भरतपुर के खनिज एवं इसके अलावा जितने भी बांसवाड़ा जिले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य बन सकते थे सभी को शामिल कर लिखा गया है।

भरतपुर का सामान्य परिचय:-

  • भरतपुर की स्थापना:- भरतपुर राजस्थान की पहली जाट रियासत थी, जिसकी स्थापना जाट सरदार चूड़ामन ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद के समय में थून में दुर्ग बनाकर की थी। भरतपुर शहर जाट महाराजा सूरजमल द्वारा सन् 1733 में बसाया गया। ईसा पूर्व 4-5वीं सदी में भरतपुर-धौलपुर का क्षेत्र सूरसेन जनपद का हिस्सा था।
  • भरतपुर का क्षेत्रफल : 5066 वर्ग किलोमीटर
  • भरतपुर जिले को राजस्थान के 4 जिले – अलवर, दौसा, करौली, धौलपुर स्पर्श करते है।
  • भरतपुर जिले की सीमा उत्तर में हरियाणा से लगती है।
  • दक्षिण में धौलपुर व करौली से लगती है।
  • पूर्व में उत्तर प्रदेश से लगती है।
  • पश्चिम में दोसा, करौली व अलवर जिलों से लगती है।
  • भरतपुर जिले के उपनाम:- राजस्थान का प्रवेश द्वार/पूर्वी द्वार, पक्षियों का स्वर्ग स्थल, राजस्थान का पूर्वी सिंह द्वार।
  • भरतपुर की अक्षांश स्थिति : 26 डिग्री 22 मिनट उत्तरी अक्षांश से 27 डिग्री 50 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
  • भरतपुर की देशांतरीय स्थिति : 76 डिग्री 53 मिनट पूर्वी देशांतर से 78 डिग्री 11 मिनट पूर्वी देशांतर तक।
  • 4 जून, 2005 को भरतपुर राजस्थान राज्य का नवीनतम सातवां संभाग बना तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल राज्य का दूसरा जिला है। 

भरतपुर जिले के प्रमुख मेले:-

  • गरुड़ मेला – यह मेला भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर में कार्तिक शुक्ल 3 को भरता है।
  • गंगा दशहरा मेला – यह मेला भरतपुर जिले के कामां क्षेत्र में ज्येष्ठ शुक्ल 7 से 12 तक भरता है।
  • बजरंग पशु मेला – यह मेला भरतपुर जिले के उच्चैन में आषाढ़ कृष्णा 2 से 8 तक भरता है।
  • जवाहर प्रदर्शनी व बृज यात्रा मेला – यह मेला भरतपुर जिले के डीग में मार्गशीर्ष कृष्णा 12 से शुक्ल 5 तक भरता है।
  • बसंती पशु मेला – यह मेला भरतपुर जिले के रूपवास में माघ कृष्णा 15 से सुदी 8 तक भरता है।
  • बृज महोत्सव – यह महोत्सव भरतपुर/डीग में फरवरी माह में आयोजित होता है।
  • जसवंत पशु मेला – यह मेला भरतपुर जिले में मार्गशीर्ष शुक्ल 5 से 15 तक भरता है।
  • भोजन बारी/भोजन थाली परिक्रमा – यह मेला भरतपुर जिले के कामां क्षेत्र में भाद्रपद शुक्ल 5 को आयोजित होता है।

भरतपुर जिले के प्रमुख मंदिर:-

  • लक्ष्मण मंदिर – शहर के बीचों बीच स्थित लक्ष्मण मंदिर का निर्माण महाराजा बलदेव सिंह ने प्रारंभ किया था, जिसे महाराजा बलवंत सिंह जी ने पूर्ण करवाया।
  • जामा मस्जिद – यह मस्जिद लाल पत्थर की बनी हुई है। कौमी एकता की दूसरी यादगार इमारत जामा मस्जिद का निर्माण कार्य महाराजा बलवंत सिंह ने प्रारम्भ किया। जामा मस्जिद का प्रवेश द्वार फतेहपुर सीकरी के बुलन्द दरवाजे के नक्शे पर बनवाया गया है।
  • ऊषा मंदिर(बयाना) – भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी के नाम पर कन्नौज के महाराजा महीपाल की रानी चित्रलेखा ने सन् 956 में बयाना में ऊषा मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इसे तुड़वाकर उषा मस्जिद का रूप दे दिया।
  • गंगा मंदिर  – यह मंदिर बंसी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से निर्मित्त है। यह मंदिर भरतपुर रियासत के शासक महाराजा बलवंत सिंह ने 1846 ई. में बनवाना प्रारंभ किया था। मंदिर में गंगा मैया के वाहन मगरमच्छ की विशाल मूर्ति विराजमान है। इस मूर्ति का मुँह किले के चौबुर्जा द्वार की तरफ उत्तर दिशा में है जिससे महाराजा व महारानी गंगा जी के दर्शन अपने महलों से भी कर सकते थे। इस बारहदरीनुमा गंगा मंदिर की दो मंजिला इमारत चौरासी खम्बों पर टिकी हुई है। मंदिर की इमारत का सामने का हिस्सा मुगल शैली पर तथा पीछे की तरफ का हिस्सा बौद्ध शैली में निर्मित्त प्रतीत होता है। इसके पश्चात् इस इमारत में 12 फरवरी, 1937 को महाराजा बलवंत सिंह के वंशज महाराज ब्रजेन्द्र सिंह ने गंगा की सुन्दर मूर्ति प्रतिष्ठित करवाई।

भरतपुर जिले के दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल:-

  • वैर – वैर कस्बे की स्थापना प्रतापसिंह ने 1726 ई. में की थी। फुलवाड़ी महल, नौलखा बाग, प्रताप फुलवारी, वैर का किला, ऊँटाला का किला आदि यहाँ के दर्शनीय स्थल हैं। वैर बाग-बगीचों का कस्बा कहलाता है। इसे भरतपुर जिले की लघुकाशी भी कहते हैं।
  • केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण्य – 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। यूनेस्को की विश्व प्राकृतिक धरोहर सूची में 1985 में शामिल। विश्व प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य जो ‘साइबेरियन सारस’ के लिए प्रसिद्ध है।
  • रूपवास – यहाँ अकबर के मृगया महल दर्शनीय हैं । यहाँ निकट ही खानवा की प्रसिद्ध युद्ध स्थली भी स्थित है। मुगल सम्राट अकबर द्वारा बनाए गए फतेहपुर सीकरी के समीप होने से रूपवास का क्षेत्र अकबर की आखेट स्थली के रूप में काफी प्रसिद्ध रहा है।
  • जवाहर बुर्ज – भरतपुर किले के उत्तर-पश्चिम पार्श्व में जवाहर बुर्ज वह ऐतिहासिक स्थल है जहाँ से जवाहर सिंह ने दिल्ली पर चढ़ाई के लिए कूच किया था। दिल्ली विजय (मुगलों पर) की याद को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उन्होंने 1765 में किले में इसी स्थल पर एक विजय स्तम्भ बनवाया था।
  • कामां – कामां को प्राचीनकाल में ब्रह्मपुर के नाम से भी संबोधित किया जाता था। यहाँ पुष्टि मार्गीय बल्लभ संप्रदाय की दो पीठ स्थापित हैं। प्रथम गोकुल चन्द्रजी एवं द्वितीय मदन मोहन जी का प्रसिद्ध मंदिर।
  • डीग – डीग भरतपुर की प्राचीन राजधानी रहा है। यह कस्बा भव्य जल महलों के लिए प्रसिद्ध है। इसमें प्रमुख हैं – सूरज भवन, किशन भवन, गोपाल भवन, नंद भवन, हरिदेव भवन, केशव भवन व सावणभादों। डीग को जलमहलों की नगरी कहते हैं। अधिकांश महल बंशी पहाड़पुर के बादामी रंग के बलुई पत्थर से सन् 1755-1763 के बीच महाराजा सूरजमल एवं जवाहरसिंह द्वारा बनाये गये है। गोपाल भवन 1780 में बनाया गया था। गोपाल महल गोपाल सागर झील में स्थित है। ये कठोर बलुआ पत्थर से निर्मित्त हैं। इनमें काले पत्थर का झूलेनुमा शाहजहाँ का सिंहासन है।
  • बयाना दुर्ग – यादव राजवंश के महाराजा विजयपाल ने यह दुर्ग मानी (दमदमा) पहाड़ी पर 1040 ई.के लगभग बनवाया था। यहाँ इब्राहीम लोदी द्वारा बनवाई गई लोदी मीनार भी है। इस दुर्ग को बाणासुर का किला, बादशाह दुर्ग एवं विजयगढ़ भी कहते हैं । बयाना को कब्रगाहों का शहर कहते हैं। बयाना दुर्ग के भीतर लाल पत्थरों से बनी भीम लाट है। इसे विष्णुवर्द्धन ने बनवाया था। इसी दुर्ग में महाराजा सूरजमल का राज्याभिषेक हुआ था।
  • बयाना – इसका प्राचीन नाम ‘श्रीपंथ’ था। पुराणों में बयाना के निकट के पर्वतीय अंचल को शोणितगिरी तथा बयाना नगर को शोणितपुर कहा गया है। मध्यकाल में यह क्षेत्र अनेकानेक ऐतिहासिक युद्धों का केन्द्र स्थल रहा है। इसमें दिवंगत हुए मुसलमान यौद्धाओं की सैकड़ों मजारें आज भी बोते युग की एक विरासत के रूप में विद्यमान हैं। बयाना की ख्याति इसके पास स्थित अनगिनत कब्रगाहों के कारण भी रही है। अतः इसे कब्रगाहों का शहर भी कहते हैं।
  • लोहागढ़ किला – राजा सूरजमल जाट द्वारा 1733 ई. में निर्मित्त भीमकाय भरतपुर दुर्ग जिसके चारों ओर पानी की चौड़ी खाई। इसमें सुजान गंगा नहर द्वारा मोती झील का पानी आता है।
  • नगला जहाज – इस गाँव में ग्वालों के रक्षक व पालनहार लोकदेवता देव बाबा का मंदिर (थान) है।
  • खानवा, भरतपुर – खानवा(भरतपुर) में बाबर एवं मेवाड़ के महाराणा सांगा के मध्य 17 मार्च, सन् 1527 को खानवा का युद्ध हुआ था। जिसमें बाबर विजयी हुआ तथा भारत में मुगल साम्राज्य स्थाई हो गया।
  • सीकरी बांध – भरतपुर के इस बाँध से रूपारेल नदी के बाढ़ के पानी से होने वाली तबाही से बचाव किया जाता है।
  • कुम्हेर—भरतपुर की प्राचीन काल में राजधानी। इसके महलों का निर्माण सूरजमल ने अपनी पत्नी हँसिया के लिए करवाया। यहाँ पर 1754 ई. में सूरजमल ने मराठा-मुगलों की संयुक्त सेना को हराया था।

भरतपुर के महत्त्वपूर्ण प्रश्न:-

  • लालदासी सम्प्रदाय की प्रधान पीठ नगला भरतपुर में है। संत लालदास जी की यहाँ पर 1648 में मृत्यु हुई थी।
  • 1804 के युद्ध में अंग्रेज सेना भरतपुर के किले को नहीं जीत सकी थी।
  • प्रसिद्ध लोकदेवता देवबाबा का मेला नगला जहाजपुर (भरतपुर) में भरता है। देवबाबा को पशुचिकित्सा का ज्ञान था। इन्हें ग्वालों का देवता भी कहते हैं।
  • खानवा का मैदान—रूपवास तहसील के नजदीक इस मैदान में 17 मार्च, 1527 ई. को सांगा व बाबर के बीच निर्णायक युद्ध हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ।
  • रूपवास—यहाँ का बसन्त मेला प्रसिद्ध है।
  • बयाना का युद्ध—बाबर व सांगा के बीच 16 फरवरी 1527 को हुआ, इस युद्ध में सांगा की विजय हुई।
  • लाल गर्दन वाला तोता केवलादेव अभयारण में पाया जाता है।
  • ब्रज महोत्स्व – फरवरी माह में भरतपुर में आयोजित होता है।
  • बयाना नील की खेती के लिए भी प्रसिद्ध था।
  • सफेद सारस की लुप्त हो रही प्रजाति को बचाने के लिए चलाया गया अभियान (ऑपरेशन राजहंस) केवलादेव से सम्बन्धित है।
  • वल्लभ सम्प्रदाय की चौथी पीठ (गोकुलचन्द जी) एवम् सातवीं पीठ (मदन मोहन जी) कामां भरतपुर में है।
  • डीग महोत्सव – कृष्ण जन्माष्टमी को भरतपुर में आयोजित होता है। 
  • मोती झील – रूपारेल नदी के जल को रोककर इसका निर्माण किया गया। इसे भरतपुर की लाइफ लाइन/जीवन रेखा भी कहते है। इस झील से नील हरित शैवाल N-2 से युक्त खाद प्राप्त होती है।
  • घना नेशनल पार्क में शिकार को रोकने के लिए चलायी गई तकनीक SIS (सीक्रेट इन्फॉर्मेशन सिस्टम) है।
  • भरतपुर में गुलाबी संगमरमर पाया जाता है।
  • जैन तीर्थंकर आदिनाथ एवम् नेमीनाथ की मूर्तियाँ जघीना भरतपुर से प्राप्त हुई।
  • रेल के वेगन बनाने का कारखाना सिमको, जिसकी स्थापना 13 जनवरी, 1957 को भरतपुर में हुई है।
  • ‘भरतपुर बर्ड पेराडाइज’ नामक पुस्तक ‘सर मार्टिन इवान्स’ द्वारा लिखी गई है।
  • भरतपुर के राजाओं का राज्याभिषेक समारोह जवाहर बुर्ज (लोहागढ़ दुर्ग में स्थित ) में होता था।
  • भरतपुर के जाटों की कुल देवी राजेश्वरी माता है, जिसका मन्दिर लोहागढ़ दुर्ग में है।
  • मुर्रा नस्ल की भैसों का प्रजनन केन्द्र कुम्हेर, भरतपुर में है।
  • राष्ट्रीय सरसों अनुसन्धान केंद्र सेवर (भरतपुर) में स्थापित है। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा 20 अक्टूबर, 1993 में इसकी स्थापना की गयी।
  • राजस्थान में गुप्त नरेशों की सबसे बड़ी निधि (कोष) बयाना भरतपुर से प्राप्त हुई है। जिसमें 1821 सिक्के हैं।
  • बयाना दुर्ग उपनाम-सुल्तान कोट/बाणासुर/बादशाह दुर्ग।
  • राजस्थान का एकमात्र लक्ष्मण मन्दिर लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर) में है।
  • सरसों का तेल (इंजन मार्क) भरतपुर का प्रसिद्ध है।
  • तवनगढ़/त्रिभुवनगढ़ दुर्ग—इस दुर्ग में ननद भोजाई का कुआँ है।
  • राज्य में सौर ऊर्जा चलित मिल्क चिलिंग प्लांट भरतपुर में है।
  • भरतपुर के बांध – सीकरी बांध, शाही बांध, अजान बांध, बंध बरेठा बांध (जहाजनुमा बनावट ) इत्यादि।
  • नौटंकी भरतपुर का प्रसिद्ध लोकनाट्य है। जिसकी शुरूआत डीग निवासी भूरेलाल ने की। कामा के गिरीराज प्रसाद ने इसे आगे बढ़ाया।
  • इत्र बनाने में उपयोगी खस घास भरतपुर में उत्पन्न होती है।
  • लालदासी सम्प्रदाय की प्रधान पीठ नगला (भरतपुर) में स्थित है।
  • वैर का किला—इसके चारों तरफ प्रताप नहर है।
  • मुर्रा नस्ल की भैंसों का केंद्र, कुम्हेर (भरतपुर) में स्थित है।
  • खैर के वृक्षों से कत्थे का उत्पादन भी भरतपुर में होता है।
  • भरतपुर के राजाओं का राज्याभिषेक समारोह जवाहर बुर्ज पर होता था जो लोहागढ़ दुर्ग में है।
  • राज्य में सौर ऊर्जा चलित मिल्क चिलिंग प्लांट भरतपुर में है।
  • ब्रज महोत्सव—भरतपुर में फरवरी माह में आयोजित होता है। 
  • सांसी जनजाति सर्वाधिक भरतपुर में पायी जाती है। 
  • राज्य की प्रथम सहकारी बैंक 1904 ईस्वी में डीग (भरतपुर) में स्थापित।
  • सांसी जनजाति सर्वाधिक भरतपुर में निवास करती है।
  • जैव उर्वरक का प्रथम कारखाना—सहकारी क्षेत्र में जैव उर्वरक का पहला कारखाना भरतपुर में है, जिसकी स्थापना नेशनल फेडरेशन फॉर कॉपरेटिव मार्केटिंग द्वारा की गई।
  • हाल ही में भरतपुर में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की गई है।
  • ”फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग” चन्द्रावती एज्युकेशन ट्रस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 2009 में भरतपुर में हुई।
  • राज्य में जैव उर्वरक का प्रथम सहकारी कारखाना भरतपुर में स्थित है। 
  • सिमको वैगन फैक्ट्री – इसमें रेल के डिब्बे बनते है। यहां पर हाल ही में कई वर्षों बाद उत्पादन शुरू हुआ है। इसकी स्थापना 13 जनवरी, 1957 में की गयी।
  • भरतपुर प्रजामण्डल की स्थापना 1938 में गोपीलाल यादव की अध्यक्षता में युगलकिशोर चतुर्वेदी, मास्टर आदित्येन्द्र ने की।
  • होली के अवसर पर बम नृत्य अलवर व भरतपुर किया जाता है।
  • ड्रग वेयर हाऊस भरतपुर में स्थापित किया गया है।
  • भरतपुर में मेवाती एवम् ब्रज भाषा बोली जाती है।
  • भरतपुर में गुलाबी रंग का संगमरमर मिलता है।
  • पर्यटन विभाग की पुस्तक-‘भरतपुर’ में सूरजमल को बदन सिंह का दत्तक पुत्र बताया है, जिसकी वजह से यह विवादास्पद पुस्तक चर्चा में है।
  • गोकुल जी वर्मा को शेर-ए-भरतपुर के नाम से जाना जाता है।
  • होली के अवसर पर जिकड़ी एवम् हुरंगो का आयोजन भरतपुर में होता है।

इस पोस्ट में भरतपुर जिले का सामान्य परिचय, भरतपुर के दर्शनीय स्थल, भरतपुर के प्रमुख मेले एवं त्यौहार, भरतपुर के प्रसिद्ध मंदिर, भरतपुर जिले की अक्षांश एवं देशांतर स्थिति, भरतपुर जिले की 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या, साक्षरता, लिंगानुपात, घनत्व के आंकड़े, क्षेत्रफल, मानचित्र में भरतपुर की स्थिति, भरतपुर के पर्यटन स्थल तथा भरतपुर के खनिज एवं इसके अलावा जितने भी बांसवाड़ा जिले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य बन सकते थे सभी को शामिल कर लिखा गया है।

यह भी पढ़ें:-

Tags : Bharatpur jila darshan, bharatpur district map photo images pin code district collector district judge patrika, bharatpur district gk in hindi, bharatpur zila darshan pdf download in hindi.

Telegram GroupJoin Now

3 thoughts on “भरतपुर जिला दर्शन (Bharatpur District GK in Hindi)”

Leave a Comment